जयपुर. निकाय चुनावों में मेयर का चुनाव प्रत्यक्ष से वापस अप्रत्यक्ष पद्धति से करवाने के गहलोत कैबिनेट के फैसले पर भाजपा जमकर हमला बोला है। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि निकाय चुनाव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष करवाने को लेकर एक बड़ा भ्रम था, लेकिन अप्रत्यक्ष चुनाव करवाने के फैसले से सरकार का डर एक बार फिर सच साबित हुआ।
सरकार ने कैबिनेट में सभापति, महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली से करवाने का निर्णय लिया था। अब वह अपने ही निर्णय से मुकर गई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा से ही जाति और मजहब के वोट बैंक की राजनीति करती है और इसी कारण सरकार ने वार्डों का पुनर्सीमांकन कर जाति, पंथ और मजहब के नाम पर वार्डों को बांटने की कोशिश की है।
सरकार ने डर कर अपना ही फैसला बदला: सराफ
वहीं पूर्व मंत्री एवं विधायक कालीचरण सराफ बोले कि कांग्रेस निकाय चुनाव पहले ही अपनी हार मान ली। सराफ बोले कि गहलोत कैबिनेट इसी साल जनवरी में नियम संशोधन कर फैसला लिया था कि प्रदेश में स्थानीय निकायों के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली के आधार पर किया जाएगा। भाजपा ने उस समय विधानसभा में कहा कि अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली प्रदेश के लिए हितकर है क्योंकि इसमें प्रत्याशियों का चुनाव प्रचार में पैसा बहुत कम खर्च होता है और डायरेक्ट चुनाव यदि होंगे तो प्रत्याशियों का पैसा अनाब-सनाब खर्च होगा। लेकिन सरकार ने कहा कि शहरी सरकारों को खरीद-फरोख्त से बचाने के लिए प्रत्यक्ष प्रणाली ठीक है और इन्होंने विधानसभा में इसको पारित कर दिया। अब उसी काे बदल दिया।